क़ासिम सुलेमानी
क़ासिम सुलेमानी ( फ़ारसी: [قاسم سلیمانی] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help) , उच्चारण [ɢɒːseme solejmɒːniː] ; 11 मार्च 1957 - 3 जनवरी 2020), इस्लामी क्रांतिकारी गार्ड कोर ( IRGC, पासदारान) में एक ईरानी प्रमुख जनरल थे और 1998 से, उनकी मृत्यु तक, इसकी क़ुद्स फोर्स के कमांडर थे। वे ईरान के राज्यक्षेत्रातीत सैन्य (extraterritorial operations) और गुप्त अभियान के लिए मुख्य रूप से ज़िम्मेदार थे।
सुलेमानी ने 1980 के ईरान-इराक युद्ध की शुरुआत में अपना सैन्य कैरियर शुरू किया, जहाँ उन्होंने अंततः ईरानी सेना की 41वी टुकड़ी की कमान संभाली। लेबनान के हिजबुल्लाह को सैन्य सहायता प्रदान करते हुए, बाद में वह राज्यक्षेत्रातीत अभियानों में शामिल हो गए। 2012 में, सुलेमानी ने सीरियाई गृह युद्ध के दौरान, विशेष रूप से आईएसआईएस और उसके अपराधियों के खिलाफ ईरान के अभियानों से सीरियाई सरकार (एक प्रमुख ईरानी सहयोगी) को मजबूत करने में मदद की। सुलेमानी ने इराकी सरकार और शिया मिलिशिया (पॉपुलर मोबिलाइज़ेशन फोर्सेज) के संयुक्त बलों की भी सहायता की जिसने 2014-2015 में आईएसआईएस के खिलाफ जंग छेड़ी थी।
3 जनवरी 2020 को इराक के बगदाद में एक लक्षित अमेरिकी ड्रोन हमले में सुलेमानी को मार दिया गया था। इसके अलावा मारे गए इराकी शिया मिलिशिया के सदस्य और इसके डिप्टी हेड अबू महदी अल-मुहांदिस भी तह। [19] सुलेमानी के पश्चात् इस्माइल गनी को क़ुद्स फोर्स का कमांडर बनाया गया। [20]
जनरल सुलेमानी ईरानी की एक ख़ास शख़्सियत थे. उनकी क़ुद्स फोर्स सीधे देश के सर्वोच्च नेता आयतोल्लाह अली ख़ामेनेई को रिपोर्ट करती है. सुलेमानी की पहचान देश के वीर के रूप में थी. सुलेमानी को पश्चिम एशिया में ईरानी गतिविधियों को चलाने का प्रमुख रणनीतिकार माना जाता रहा है.[21]
परिचय
[संपादित करें]जनरल सुलेमानी भले ही ईरान के एक बड़े सैन्यकर्मी और उभरते हुए नेता थे, अमरीका ने उन्हें और उनकी क़ुद्स फ़ोर्स को सैकड़ों अमरीकी नागरिकों की मौत का ज़िम्मेदार क़रार देते हुए 'आतंकवादी' घोषित कर रखा था।
सुलेमानी को पश्चिम एशिया में ईरानी गतिविधियों को चलाने का प्रमुख रणनीतिकार माना जाता रहा है। 1998 से सुलेमानी ईरान की क़ुद्स फ़ोर्स का नेतृत्व कर रहे हैं।
वे ईरान की एक ख़ास शख़्सियत थे जिनकी क़ुद्स फ़ोर्स सीधे देश के सर्वोच्च नेता आयतोल्लाह अली ख़ामनेई को रिपोर्ट करती है। सुलेमानी की पहचान देश के वीर के रूप में थी। ख़ामनेई से उन्हें 'अमर शहीद' का ख़िताब दिया है।
उनकी एक बड़ी सफलता यह थी कि उन्होंने यमन से लेकर सीरिया तक और इराक़ से लेकर दूसरे मुल्कों तक रिश्तों का एक मज़बूत नेटवर्क तैयार किया ताकि इन देशों में ईरान का असर बढ़ाया जा सके।
सुलेमानी के नेतृत्व में ईरान की ख़ुफ़िया, आर्थिक और राजनीतिक पटल पर भी क़ुद्स फ़ोर्स का प्रभाव रहा है।
ईरान के दक्षिण-पश्चिम प्रांत किरमान के एक ग़रीब परिवार से आने वाले सुलेमानी ने 13 साल की आयु से अपने परिवार के भरण पोषण में लग गए। अपने ख़ाली समय में वे वेटलिफ्टिंग करते और ख़ामनेई की बातें सुनते थे।
फॉरेन पॉलिसी पत्रिका के मुताबिक़ सुलेमानी 1979 में ईरान की सेना में शामिल हुए और महज़ छह हफ़्ते की ट्रेनिंग के बाद पश्चिम अज़रबाइजान के एक संघर्ष में शामिल हुए थे।
इराक़-ईरान युद्ध के दौरान इराक़ की सीमाओं पर अपने नेतृत्व की वजह से वे राष्ट्रीय हीरो के तौर पर उभरे थे।
सुलेमानी ने इराक़ और सीरिया में इस्लामिक स्टेट के मुक़ाबले कुर्द लड़ाकों और शिया मिलिशिया को एकजुट करने का काम किया।
हिज़बुल्लाह और हमास के साथ-साथ सीरिया की बशर अल-असद सरकार को भी सुलेमानी का समर्थन प्राप्त था।
दूसरी तरफ़ सुलेमानी को अमरीका अपने सबसे बड़े दुश्मनों में से एक मानता था। अमरीका ने क़ुद्स फ़ोर्स को 25 अक्तूबर 2007 को ही आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था और इस संगठन के साथ किसी भी अमरीकी के लेनदेन किए जाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया।
23 अक्तूबर 2018 को सऊदी अरब और बहरीन ने ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स को आतंकवादी और इसकी क़ुद्स फ़ोर्स के प्रमुख क़ासिम सुलेमानी को आतंकवादी घोषित किया था।
सद्दाम हुसैन के साम्राज्य के पतन के बाद 2005 में इराक़ की नई सरकार के गठन के बाद से प्रधानमंत्रियों इब्राहिम अल-जाफ़री और नोउरी अल-मलिकि के कार्यकाल के दौरान वहां की राजनीति में सुलेमानी का प्रभाव बढ़ता गया। उसी दौरान वहां की शिया समर्थित बद्र संगठन को सरकार का हिस्सा बना दिया गया। बद्र संगठन को इराक़ में ईरान की सबसे पुरानी प्रॉक्सी फ़ोर्स कहा जाता है।
2011 में जब सीरिया में गृहयुद्ध छिड़ा तो सुलेमानी ने इराक़ के अपने इसी प्रॉक्सी फ़ोर्स को असद सरकार की मदद करने को कहा था जबकि अमरीका बशर अल-असद की सरकार को वहां से उखाड़ फेंकना चाहता था।
ईरान पर अमरीकी प्रतिबंध और सऊदी अरब, यूएई और इसराइल की तरफ़ से दबाव किसी से छुपा नहीं है। और इतने सारे अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच अपने देश का प्रभाव बढ़ाने या यूं कहें कि बरक़रार रखने में जनरल क़ासिम सुलेमानी की भूमिका बेहद अहम थी और यही वजह थी कि वो अमरीका, सऊदी और इसराइल की तिकड़ी की नज़रों में चढ़ गए थे। अमरीका ने तो उन्हें आतंकवादी भी घोषित कर रखा था।
रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स
[संपादित करें]सुलेमानी का क़ुद्स फ़ोर्स इरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स की विदेशी यूनिट का हिस्सा हैं। 1979 की ईरानी क्रांति के बाद आयतोल्लाह ख़ोमैनी के ही आदेश से रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स का गठन हुआ था। इसका मक़सद देश की इस्लामिक व्यवस्था की हिफ़ाज़त और नियमित सेना के साथ सत्ता का संतुलन बनाना था।
ईरान में शाह के पतन के बाद ईरान में नई हुकूमत आई तो सरकार को लगा कि उन्हें एक ऐसी फ़ौज की ज़रूरत है जो नए निज़ाम और क्रांति के मक़सद की हिफ़ाज़त कर सके।
ईरान के मौलवियों ने एक नए क़ानून का मसौदा तैयार किया जिसमें नियमित सेना को देश की सरहद और आंतरिक सुरक्षा का ज़िम्मा दिया गया और रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स को निज़ाम की हिफ़ाज़त का काम दिया गया।
लेकिन ज़मीन पर दोनों सेनाएं एक दूसरे के रास्ते में आती रही हैं। उदाहरण के लिए रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स क़ानून और व्यवस्था लागू करने में भी मदद करती हैं और सेना, नौसेना और वायुसेना को लगातार उसका सहारा मिलता रहा है।
वक्त के साथ-साथ रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ईरान की फ़ौजी, सियासी और आर्थिक ताक़त बन गई।
क़ुद्स फोर्स
[संपादित करें]ऊपर बताई गई ईरान की इसी रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स की स्पेशल आर्मी है क़ुद्स फ़ोर्स जो विदेशों में संवेदनशील मिशन को अंजाम देती है। क़ुद्स फोर्स सीधे देश के सर्वोच्च नेता आयतोल्लाह अली ख़ामेनेई को रिपोर्ट करती है.[21]
हिज़बुल्लाह और इराक़ के शिया लड़ाकों जैसे ईरान के क़रीबी सशस्त्र गुटों को हथियार और ट्रेनिंग देने का काम भी क़ुद्स फ़ोर्स का ही है।
माना जाता है कि रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ईरान की अर्थव्यवस्था के एक तिहाई हिस्से को नियंत्रित करता है। अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रही कई चैरिटी संस्थानों और कंपनियों पर उसका नियंत्रण है।
ईरानी तेल निगम और इमाम रज़ा की दरगाह के बाद रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स मुल्क का तीसरा सबसे धनी संगठन है। इसके दम पर रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स में अच्छी सैलेरी पर धार्मिक नौजवानों की नियुक्ति की जाती है।
भले ही रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स में सैनिकों की संख्या नियमित सेना के सैनिकों की संख्या के मामले में क़रीब तीन लाख कम है लेकिन इसे ईरान की सबसे ताक़तवर फ़ौज के रूप में जाना जाता है।
ये भी कहा जाता है कि दुनिया भर में ईरान के दूतावासों में रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के जवान ख़ुफ़िया कामों के लिए तैनात किए जाते हैं।
ये विदेशों में ईरान के समर्थक सशस्त्र गुटों को हथियार और ट्रेनिंग मुहैया कराते हैं।
मृत्यु[21]
[संपादित करें]ईरान की क़ुद्स फ़ोर्स के प्रमुख जनरल क़ासिम सुलेमानी बग़दाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हवाई हमले में मारे गए. इस हमले की ज़िम्मेदारी अमरीकी ने ली है. इस हमले में कताइब हिज़बुल्लाह के कमांडर अबू महदी अल-मुहांदिस भी मारे गए.
अमरीकी रक्षा विभाग की तरफ से बयान में कहा गया है कि "अमरीकी राष्ट्रपति के निर्देश पर विदेश में रह रहे अमरीकी सैन्यकर्मियों की रक्षा के लिए क़ासिम सुलेमानी को मारने का कदम उठाया गया है. अमरीका ने उन्हें आतंकवादी घोषित कर रखा था."
इस बयान में कहा गया है कि "सोलेमानी बीते 27 दिसंबर समेत, कई महीनों से इराक़ स्थित अमरीकी सैन्य ठिकानों पर हमलों को अंजाम देने में शामिल रहे हैं. इसके अलावा बीते हफ़्ते अमरीकी दूतावास पर हुए हमले को भी उन्होंने अपनी स्वीकृति दी थी."
बयान के अंत में कहा गया कि, "यह एयरस्ट्राइक भविष्य में ईरानी हमले की योजनाओं को रोकने के उद्देश्य से किया गया. अमरीका, चाहे जहां भी हो, अपने नागरिकों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई को करना जारी रखेगा."
अमरीकी मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि जनरल सुलेमानी और ईरान समर्थित मिलिशिया के अधिकारी दो कार में बगदाद एयरपोर्ट जा रहे थे तभी एक कार्गो इलाके में अमरीकी ड्रोन ने उन पर हमला कर दिया.
इस काफिले पर कई मिसाइलें दागी गईं. बताया गया कि कम से कम पांच लोगों की इसमें मौत हो गई है.
उनके मौत की पुष्टि ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने भी कर दी है.
हमले के पीछे औचित्य[21]
[संपादित करें]अमरीका का कहना है कि हिज़्बुल्लाह इराक़ में उसके सैन्य ठिकानों पर लगातार हमला करता रहा है.
2009 से ही अमरीका ने कताइब हिज़्बुल्लाह को आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है. उसने इसके कमांडर अबु महदी अल-मुहांदिस को वैश्विक आतंकवादी भी क़रार दिया था. अमरीका का कहना है कि यह संगठन इराक़ की स्थिरता और शांति के लिए ख़तरा है.
अमरीका के डिफेंस डिपार्टमेंट का कहना है कि कताइब हिज़्बुल्लाह का संबंध ईरान के इस्लामिक रिवॉल्युशनरी गार्ड्स कॉर्प्स यानी आईआरजीसी के वैश्विक ऑपरेशन आर्म क़ुद्स फ़ोर्स से है जिसे ईरान से कई तरह की मदद मिलती है.
मृत्योपरांत प्रतिक्रिया
[संपादित करें]अमेरिका
[संपादित करें]ट्रम्प, राष्ट्रपति
[संपादित करें]अमरीकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने कहा है कि राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने हवाई हमले का आदेश दिया था. अमरीकी कार्रवाई को लेकर अंतरराष्ट्रीय जगत से कई प्रतिक्रियाएँ आई हैं.[22]
सुलेमानी ईरान के लिए कितने अहम थे इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि उनकी मौत की ख़बर के आने के फ़ैरन बाद ही अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने अमरीका के राष्ट्रीय झंडे की तस्वीर ट्वीट की.[23]
पॉम्पियो, अमरीकी विदेश मंत्री
[संपादित करें]अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा "इराक़ी आज़ादी के लिए गलियों में डांस कर रहे हैं. शुक्रगुज़ार हूँ कि जनरल सुलेमनी नहीं रहे."[22]
नैंसी पेलोसी, अमरीकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर
आज के हवाई हमले की वजह से हिंसा ख़तरनाक स्तर तक बढ़ सकती है. अमरीका और पूरी दुनिया तनाव के उस स्तर को झेल नहीं सकते, जहाँ से लौटना मुश्किल हो. अमरीकी प्रशासन ने सैन्य बल के इस्तेमाल की मंज़ूरी के बिना हमला किया है. कांग्रेस से सलाह किए बिना ये कार्रवाई की गई है.[22]
अमरीकी सीनेटर जिम रिश
क़ासिम सुलेमानी सैकड़ों अमरीकियों की मौत के लिए ज़िम्मेदार थे. मैंने पहले भी ईरान की सरकार को चेतावनी दी है कि वो हमारे संयम को हमारी कमज़ोरी न समझे. उन सभी अमरीकी सैन्यकर्मियों को आज न्याय मिल गया है, जो कई वर्षों के दौरान ईरानी हमले में मारे गए हैं. [22]
अमरीका के पूर्व राष्ट्र जो बाइडन
ये एक ख़तरनाक क्षेत्र में तनाव बढ़ाने वाले क़दम है. राष्ट्रपति ट्रंप ने पहले से ही मौजूद विस्फोटक स्थिति को और सुलगा दिया है. उन्हें अमरीकी लोगों को ये बताना चाहिए कि अपने सैनिकों, दूतावास के कर्मचारियों, हमारे लोगों, हमारे हितों की रक्षा की उनकी रणनीति क्या है.[22]
अमरीकी सीनेटर एलिज़ाबेथ वॉरेन
सुलेमानी एक हत्यारा था. वो हज़ारों लोगों की मौत का ज़िम्मेदार था, जिनमें सैकड़ों अमरीकी भी थे. लेकिन इस कार्रवाई के कारण ईरान में स्थिति और बिगड़ेगी, वहाँ और लोगों की जान जा सकती है और मध्य पूर्व में नया संघर्ष भी शुरू हो सकता है. हमारी प्राथमिकता ये होनी चाहिए कि एक और भारी भरकम ख़र्च वाला युद्ध न हो.[22]
अमरीकी सीनेटर क्रिस मरफ़ी
सुलेमानी अमरीका का दुश्मन था. लेकिन उनकी हत्या से अमरीकी लोगों पर ख़तरा बढ़ेगा.[22]
संयुक्त राष्ट्र में पूर्व अमरीकी दूत निकी हेली
क़ासिम सुलेमानी एक आतंकवादी था और उसके हाथ अमरीकी लोगों के ख़ून से रंगे थे. जो भी शांति और न्याय की बात करते हैं, उन्हें उसकी मौत की सराहना करनी चाहिए. हमें राष्ट्रपति ट्रंप पर गर्व है.[22]
ईरान की प्रतिक्रिया
[संपादित करें]ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई
सभी दुश्मनों को ये जानना चाहिए कि प्रतिरोध का जिहाद दोगुने उत्साह से जारी रहेगा. इस पवित्र जंग में हमारी जीत सुनिश्चित है.[22]
ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के पूर्व कमांडर मोहसिन रेज़ाई
वे शहीद हुए भाइयों में शामिल हो गए हैं. लेकिन हम अमरीका से बड़ा बदला लेंगे.[22]
इराक़
[संपादित करें]इराक़ के पीएम अब्दुल महदी
बग़दाद के हवाई अड्डे पर हमला इराक़ के ख़िलाफ़ आक्रामक कार्रवाई है और इसकी संप्रभुता का उल्लंघन है. इसके कारण इराक़ में, पूरे इलाक़े में और दुनियाभर में युद्ध छिड़ जाएगा. हवाई हमले ने इराक़ में अमरीकी सैनिकों की उपस्थिति की शर्तों का भी उल्लंघन किया है.[22]
इराक़ी शिया मौलवी मुक़्तदा अल सद्र
इराक़ी प्रतिरोध का अगुआ होने का कारण मैं सभी मुजाहिदीन और ख़ासकर महदी आर्मी को आदेश देता हूँ कि वो इराक़ की रक्षा के लिए तैयार रहें.[22]
अन्य
[संपादित करें]रूसी विदेश मंत्रालय
सुलेमानी की हत्या से इलाक़े में तनाव बढ़ेगा. सुलेमानी ने ईरान के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए काम किया. हम ईरानी जनता के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हैं.[22]
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग
हम सभी पक्षों और ख़ासकर अमरीका से संयम की अपील करते हैं. चीन ने हमेशा से अंतरराष्ट्रीय रिश्तों में बल प्रयोग का विरोध किया है. इराक़ की संप्रभुता और स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए.[22]
सीरियाई विदेश मंत्रालय
अमरीका मध्य पूर्व में हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहा है. अमरीका की इस कायरतापूर्ण कार्रवाई से शहीद नेताओं के रास्ते को अपनाने की प्रतिबद्धता को बल मिलेगा.[22]
हमास के प्रवक्ता बासिम नईम
इस हत्या के बाद इस इलाक़े में शांति और स्थिरता के अलावा हर संभावित चीज़ का दरवाज़ा खुल गया है. इसकी ज़िम्मेदारी अमरीका की होगी.[22]
भारत
[संपादित करें]अमेरिकी हमले में ईरान के एक शीर्ष कमांडर के मारे जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारत ने शुक्रवार को कहा कि तनाव में वृद्धि ने विश्व को चौकन्ना कर दिया है. इसके साथ ही भारत ने जोर दिया कि उसके लिए क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत ने लगातार संयम पर जोर दिया है और यह महत्वपूर्ण है कि स्थिति और खराब नहीं हो. इससे पहले पेंटागन ने घोषणा की थी कि शुक्रवार को इराक में एक अमेरिकी ड्रोन हमले में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के शक्तिशाली कमांडर जनरल कासेम सुलेमानी की मौत हो गई. विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि तनाव में वृद्धि ने दुनिया को चौंकन्ना बना दिया है. इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. मंत्रालय ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि स्थिति और अधिक नहीं बिगड़े. भारत ने लगातार संयम की वकालत की है और ऐसा करना जारी रखेगा.
मध्य-पूर्व पर प्रभाव[24]
[संपादित करें]बीबीसी की चीफ़ इंटरनेशनल रिपोर्टर लीस डुसेट के मुताबिक़ क़ासिम सुलेमानी को मध्य-पूर्व में ईरान की महत्वकांक्षा के मास्टरमाइंड और बात जब युद्ध और शांति की हो तो वास्तविक विदेश मंत्री के रूप में देखा जाता था.
सुलेमानी सीरियाई संघर्ष में राष्ट्रपति बशर अल-असद के सलाहकार के रूप में भी देखे जाते थे. उन्हें इराक़ में चल रहे वर्तमान संघर्ष, इस्लामिक स्टेट के ख़िलाफ़ लड़ाई के साथ कई अन्य मोर्चे पर प्रमुख रणनीतिकार भी माना जाता था.
जहां सुलेमानी की मौत को एक निर्णायक टर्निंग पॉइंट के तौर पर देखा जा रहा है वहीं ईरान और अमरीका और इनके सहयोगियों के बीच इसे एक बड़े संकट के रूप में भी देखा जा रहा है.
इनके रिश्ते में और तल्ख़ी आएगी और जैसा कि ख़ामनेई के बयान से लगता है, बदला भी लिए जाने की प्रबल संभावना है. नई परिस्थितियां पहले से अस्थिर मध्य पूर्व के इस हिस्से में और भी संकट की स्थिति पैदा करेंगी.
यह सभी देखें
[संपादित करें]- 1979 से ईरानी दो सितारा जनरलों की सूची
- होसेन सलामी
- मोहम्मद बाघेरी (ईरानी कमांडर)
- ईरान-सऊदी अरब प्रॉक्सी संघर्ष
- ईरान-संयुक्त राज्य अमेरिका के संबंध
संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Qassem Suleimani not Just a Commander! – Taking a Closer Look at Religious Character of Iranian General". abna24. 10 March 2015. मूल से 10 October 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 July 2016.
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- ↑ अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ क ख ग घ ङ च "सुलेमानी पर कार्रवाई: अमरीकी नेताओं में मतभेद, रूस आया ईरान के साथ". बीबीसी हिन्दी.
- ↑ "ट्रम्प की ट्वीट". मूल से 4 जनवरी 2020 को पुरालेखित.
- ↑ "जनरल क़ासिम सुलेमानी की मौत मध्य-पूर्व में कितना बड़ा टर्निंग पॉइंट?". बीबीसी हिन्दी.
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- डेविड इग्नाटियस, एट द टिप ऑफ़ ईरान स्पीयर, वाशिंगटन पोस्ट, 8 जून 2008
- मार्टिन चुलोव, कासेम सुलेमानी: ईरानी जनरल 'गुपचुप रूप से चल रहे' इराक, द गार्जियन, 28 जुलाई 2011
- डेक्सटर फिल्किंस, द शैडो कमांडर, द न्यू यॉर्कर, 30 सितंबर 2013
- अली मामूरी, द एनिग्मा ऑफ़ क़ासम सोलेमानी और इराक में उनकी भूमिका, अल-मॉनिटर, 13 अक्टूबर 2013
- बीबीसी रेडियो 4 प्रोफाइल